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हाथकरघा

प्रकार:  
हस्तशिल्प हथकरघा
हैंडलूम

सारंगपुर जिला राजगढ़ में स्थित एक हाथकरघा बाहुल्य क्लस्टर है। जंहा पड़ाना ग्राम में अधिकांश बुनकर रहवास करते हे। सारंगपुर ऐतिहासिक रूप से भी भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध क्षेत्र है क्योंकि इस क्षेत्र में रानी रूपमती का मकबरा भी है।

सारंगपुर (पड़ाना) में प्रमुख रूप से कोटा मसूरिया साड़ियों का उत्पादन होता था साथ ही सारंगपुर में पगडी का उत्पादन भी बहुतायत में होता है। सारंगगपुर क्षेत्र में प्रमुख रूप से 2/40 एस, 20 एस, 10 एस के काउंट के धागे का उपयोग करते हुए चादर सिंगल एवं डबल चादर का उत्पादन किया जाता है।
सारंगपुर क्षेत्र में उत्पादित चादरें रंगो के संयोजन एवं रंगो की फास्टनेस के आधार पर अन्य क्लस्टरों के सापेक्ष उत्कृष्ट क्वालिटी की है जिसके कारण विगत कई वर्षो से इन चादरों की मांग बाजार में उपभोक्ताओं द्वारा की जा रही है।
सांरगपुर क्षेत्र में बुनकरों द्वारा शिफान, प्लेन पोत, सिल्क का उत्पादन भी प्रारंभ किया गया है। जिसकी मांग भी बाजार में अन्य सिल्क उत्पादनों के सापेक्ष पंसद की जा रही है।
वर्तमान में सांरगपुर जिला राजगढ़ में लगभग 2175 करघे स्थापित है। जिनके माध्यम से लगभग 3702 बुनकरो को रोजगार में संलग्न कराया गया है। अनुमानित वार्षिक उत्पादन लगभग 1.15 करोड़ रूपये का है।